बहुलक अथवा भूयिष्ठक ( Mode ) किसी समंक श्रेणी में जिस मूल्य की आवृत्ति सबसे अधिक होती है , उसी को बहुलक या भूयिष्ठक कहते हैं , इसी प्रकार बहुलक समंक श्रेणी का सर्वाधिक सामान्य मूल्य होता है । यह समंक श्रेणी या पदमाला का ऐसा मूल्य या परिणाम है , जो दिए हुए आँकड़ों में सबसे अधिक बार आता है ।
अंग्रेजी का ( Mode ) शब्द फ्रेंच भाषा के ' La Mode ' से बना है जिसका आशय ' Most Fashionable ' ( सर्वाधिक फैशन या रिवाज ) है । औसत व्यक्ति अमुक वस्त्र पहनते हैं । औसत स्त्रियाँ अमुक सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करती हैं आदि कथनों में औसत का आशय फैशन या रिवाज है । अत : यही बहुलक कहलाता है । बहुलक को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है जो निम्न प्रकार है
बहुलक की परिभाषा
जिजेक के अनुसार , “ बहुलक वह मूल्य है जो पदों की श्रेणी ( अथवा समूह ) में सबसे अधिक बार आता है तथा जिसमें चारों ओर सबसे अधिक घनत्व के पदों का विवरण रहता है । "
क्राक्सटन एवं क्राउडेन के अनुसार , “ एक वितरक का बहुलक वह मूल्य है , जिसके निकट श्रेणी की अधिक से अधिक इकाइयाँ केन्द्रित होती हैं । उसे मूल्यों की श्रेणी का सबसे अधिक प्रतिरूपी माना जाता है । "
बहुलक की विशेषताएँ
( 1 ) बहुलक का मूल्य सबसे अधिक संभावित मूल्य होता है । यह वह होता है जिसके आसपास सबसे अधिक आवृत्तियाँ केन्द्रित होती हैं ।
( 2 ) बहुलक का मूल्य प्राय : अधिकतम आवृत्तियों से निर्धारित होता है , इकाइयों से नहीं ।
( 3 ) बहुलक का मूल्य केवल एक संभावित मूल्य होता है जो हमेशा अस्थिर रहता है । बहुलक का मूल्य , वर्गीकरण की प्रक्रियाओं से प्रभावित होता है ।
( 4 ) बहुलक किसी भी एक विभाजन की मात्रा को प्रदर्शित करता है ।
( 5 ) बहुलक मूल्य बहुलकता की मात्रा को प्रदर्शित करता है
( 6 ) बहुलक के मूल्यों का बीजगणितीय सिद्धान्तों द्वारा हल नहीं किया जा सकता
( 7 ) बहुलक ज्ञात करने के लिए तथ्यों को उनके आकारानुसार क्रमबद्ध करना पड़ता है ।
( 8 ) बहुलक का मूल्य खुले वर्गान्तरों के रूप में दिए गए तथ्यों से निकाला जा सकता है ।
बहुलक के गुण
( 1 ) बहुलक को निरीक्षण मात्र से ही निर्धारित कर लेना एवं सामान्य व्यक्ति के द्वारा प्रयोग करना अत्यन्त सरल होता है ।
( 2 ) बहुलक का हमारे दिन - प्रतिदिन के जीवन में अत्यधिक महत्त्व है । इसके द्वारा प्रचलित भाव , सर्वाधिक फैशन आदि को ज्ञात किया जाता है ।
( 3 ) बहुलक सर्वाधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण होता है क्योंकि यह सम्पूर्ण श्रेणी की सर्वाधिक आवृत्ति पर निर्भर होता है ।
( 4 ) बहुलक अपनी श्रेणी में पाए जाने वाले किन्हीं अत्यधिक बड़े या छोटे पदों से प्रभावित नहीं होता है , क्योंकि इसमें मूल्यों को जोड़कर पदों के भाग देने की आवश्यकता नहीं होती है ।
( 5 ) बहुलक ज्ञात करने से समंक श्रेणी की अधिकतम एवं न्यूनतम संख्या ज्ञात करने की आवश्यकता नहीं होती है । यदि वे समंक बहुलक वर्ग से सम्बन्धित नहीं हैं ।
बहुलक के दोष / सीमाएँ
( 1 ) बहुलक कई बार वास्तविकता से दूर भ्रांतिपूर्ण या संदेहपूर्ण होता
( 2 ) यदि पद मूल्य एक वर्गान्तर के रूप में हो तो उससे ज्ञात होने वाला बहुलक अत्यधिक अनिश्चित एवं संदेहपूर्ण बना रहता है ।
( 3 ) अनेक बार समंक श्रेणी में एक से अधिक बहुलक होने पर उनका निर्धारण करना कठिन होता है ।
( 4 ) बहुलक पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्वपूर्ण नहीं होता है क्योंकि यह कई बार असामान्य मूल्यों को छोड़ देता है ।
( 5 ) बहुलक की गणना आवृत्तियों से की जाती है । अतः इसे बीजगणितीय पद्धति से ज्ञात नहीं किया जा सकता है ।
( 6 ) यदि बहुलक का मूल्य और कुल पदों की संख्या ज्ञात हो तो उनका गुणा करके समंक श्रेणी में स्थित सभी पद - मूल्यों के योग को ज्ञात नहीं किया जा सकता है । यह बहुलक की सांख्यिकीय दुर्बलता है ।
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