समाजीकरण की प्रक्रिया के स्तर ( 1 ) मौखिंक अवस्था — बच्चे के जीवन की यह पहली अवस्था है । इस समय बच्चे की सभी आवश्यकताएँ केवल शारीरिक और मौखिक होती हैं । भूख लगना , ठण्ड अथवा गर्मी महसूस करना तथा प्रत्येक कार्य में असुविधा महसूस करना ही उसकी प्रमुख समस्याएँ होती हैं । इस समय बच्चा परिवार में अपनी माँ अतिरिक्त और किसी को नहीं जानता है । पारसंस का विचार है कि दूसरे सदस्यों के लिए तो ऐसा बच्चा केवल एक मनोरंजन की वस्तु के रूप में ही होता है । तब प्रश्न उठता है कि इस स्तर में बच्चा किन विशेषताओं को सीखता है ? वास्तव में इस समय बच्चे और माँ के कार्यों में कोई भिन्नता नहीं होती । इस कारण उसमें केवल एक ही विचार पैदा होता है कि वह और उसकी माँ एक - दूसरे से बिल्कुल ही पृथक् नहीं हैं । इस स्थिति को फ्रायड ने प्राथमिक एकरूपता कहा है । इसके पश्चात् इस स्तर में बच्चा अपनी भूख पर कुछ नियंत्रण रखना सीख जाता है । बच्चा माँ के शारीरिक सम्पर्क से आनन्द की अनुभूति लेना सीखता है । यही वे विशेषताएँ हैं जो उसमें क्रिया सम्बन्धी विचार उत्पन्न कर देती हैं । इस प्रकार सामान्यतः समाजीकरण का यह स्तर आयु के एक - डे...
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