वैज्ञानिक पद्धति अर्थ
विज्ञान के अर्थ को समझ लेने के पश्चात् अब हमें वैज्ञानिक पद्धति ( Scientific Method ) को समझना होगा वैज्ञानिक पद्धति को परिभाषित करते हुए सामान्य शब्दों में यह कहा जाता है कि कोई भी वह पद्धति वैज्ञानिक पद्धति है , जिसे एक पक्षपात रहित अध्ययनकर्ता किसी विषय के अध्ययन में प्रयुक्त करता है । यह एक ऐसी पद्धति है जो भावना , दर्शन अथवा तत्व ज्ञान ( Metaphysics ) से सम्बन्धित न होकर वस्तुनिष्ठ अवलोकन, परीक्षण, प्रयोग और वर्गीकरण की एक व्यवस्थित कार्यप्रणाली पर आधारित होती है ।
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वैज्ञानिक पद्धति किसी भी विषय को विज्ञान के रूप में प्रतिस्थापित करने का एक सुदृढ़ आधार कार्ल पियर्सन ने लिखा है कि " समस्त विज्ञानों की एकता उसकी पद्धति में निहित है , किसी विषय - वस्तु में नहीं ।
वैज्ञानिक पद्धति परिभाषा
हेगडोर्न एवं लैबोविट्ज ( Hagdorn and Labobitz ) ने अपनी कृति एन इन्ट्रोडक्शन सोशल रिसर्च में लिखा है कि " वैज्ञानिक पद्धति सोचने एवं समस्या समाधान का एक ढंग है । यह एक आनुभाविक संसार के प्रति अभिमुखन ( orientation ) है , तथा एक ऐसी प्रविधि है जिसका प्रयोग अधिकांशतः वैज्ञानिक सामाजिक घटनाओं के विज्ञान के निर्माण के लिए करते हैं । "
ऑगस्ट कॉन्ट ( August Comte ) भी इसे परिभाषित करते हुए लिखा है कि ' वैज्ञानिक पद्धति में धर्म , दर्शन तथा कल्पना का कोई भी स्थान नहीं है । इसके विपरीत अवलोकन मूल्यांकन , प्रयोग और वर्गीकरण की व्यवस्थित कार्यप्रणाली को वैज्ञानिक पद्धति कहा जाता है । "
जॉर्ज . लुण्डबर्ग ( George A. Lundberg ) की कृति सोशल रिसर्च में भी वैज्ञानिक पद्धति की प्रकृति एवं महत्त्व को स्पष्ट किया गया है । वे लिखते हैं कि " सामाजिक वैज्ञानिकों में यह विश्वास दृढ़ हो गया है कि उनके सम्मुख जो समस्याएँ हैं , उनका हल यदि होता तो यह सामाजिक घटनाओं के निष्पक्ष एवं व्यवस्थित निरीक्षण , सत्यापन , वर्गीकरण तथा विश्लेषण के द्वारा ही सम्भव है । इसी दृष्टिकोण को उनके प्रति ठोस एवं सफल रूप को मोटे तौर पर वैज्ञानिक पद्धति कहा जाता है । "
आर . एन थाउलेस ( R.N. Thouless ) ने भी द स्टडी ऑफ सोसाइटी में लिखा है कि , “ वैज्ञानिक पद्धति सामान्य नियमों की खोज के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रविधियों की एक व्यवस्था है जो कि विभिन्न विज्ञानों में कई बातों में भिन्न होते भी एक सामान्य प्रकृति को भी बनाए रखती है ।
ए . वुल्फ ( A. Wolf ) कहते हैं कि “ विस्तृत अर्थों में कोई अनुसन्धान विधि जिसके द्वारा विज्ञान का निर्माण एवं विस्तार होता है वैज्ञानिक पद्धति कही जाती है ।
वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएँ ( Basic Characteristics of Scientific Methods )
( 1 ) सत्यापनशीलता ( Verifiability ) – वैज्ञानिक पद्धति की सर्वप्रमुख आधारभूत विशेषता उसकी सत्यापनशीलता है । इसका आशय यह है कि वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा जो भी निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाते हैं , उनकी सत्यता की जाँच की जा सकती है । सत्यापन का आशय यह है कि कोई भी व्यक्ति इन विधियों को प्राप्त करके समान निष्कर्षो को प्राप्त करे किसी भी वैज्ञानिक विधि का यह सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है । इस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति किसी व्यक्ति विशेष की नहीं होती , इसका प्रयोग कोई भी वैज्ञानिक किसी भी समय कर सकता है । पूर्व प्राप्त तथ्य कहाँ तक सत्य है इस बात की जांच सत्यापन द्वारा ही सम्भव है । इस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति केवल तथ्यों का उद्घाटन ही नहीं करती वरन् उसकी सार्वभौमिकता को भी प्रमाणित करती है। इस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति में सत्यापन ही वह गुण हैं जिसके कारण यह पद्धति अन्य विधियों की अपेक्षा अधिक प्रामाणिक एवं उपयुक्त मानी
( 2 ) निश्चयात्मकता ( Definiteness ) - वैज्ञानिक पद्धति की दूसरी प्रमुख विशेषता यह है कि वह स्पष्ट निश्चित एवं विशिष्ट ( Specific ) होती है । यह पद्धति अस्पष्ट एवं अनिश्चित नहीं होती है । इस निश्चयात्मकता के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न तत्वों की जिनका अनुसन्धान में उपयोग किया गया है , उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित एवं वर्गीकृत के लिए किया जाता है , जो पूर्णतः जटिल नहीं हैं एवं जिनका निश्चित प्रकारों में वर्गीकरण करके उसमें निश्चितता लाई जाती है । वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग प्रायः ऐसी ही घटनाओं किया जा सकता है । इस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति सभी वैज्ञानिकों के लिए एक - सी होती है । इनका अनुसरण करके कोई भी वैज्ञानिक अपनी आवश्यकतानुसार किसी भी सम सत्य की खोज कर सकता है । वैज्ञानिक पद्धति किन्हीं भी अनिश्चित या सन्देहात्मक तथ्य को अपने में स्थान नहीं देती है , क्योंकि यह वैज्ञानिकता के प्रतिकूल हैं।
( 3 ) सामान्यता ( Generality ) - सामान्यता के दो अर्थ लगाये जाते हैं । प्रथम यह एक वैज्ञानिक पद्धति सभी विज्ञानों में सामान्य होती है । कार्ल पियर्सन ने लिखा कि वैज्ञानिक पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में एक - सी होती है । " सामान्यता का दूसरा अर्थ यह है कि विषय से सम्बन्धित एक सामान्य सत्य ढूंढ निकालने की विधि है । इसमें इकाइयों का अध्ययन सम्पूर्ण समूह के सन्दर्भ में उसके एक प्रतिनिधि के रूप में भी किया जा सकता है । इसलिए जो निष्कर्ष निकाला जाता हैं वह किसी इकाई विशेष पर नहीं बल्कि उस पूरे समूह पर सामान्य रूप से लागू होता है । ए . वुल्फ ने लिखा है कि विज्ञान व्यक्तिगत पदार्थों से एवं समूहों से सम्बन्ध नहीं रखता । वह मुख्यतः
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प्रतिनिधि रूपों ( Types ) , किस्मों अथवा वर्गों से सम्बन्धित है , जिसमें उपस्थित व्यक्तिगत पदार्थ एक उदाहरण मात्र है । इसका आशय यह है कि जो भी वैज्ञानिक खोज की जाए अथवा जिसके आधार पर नियमों का निर्माण किया जाए वह किसी विशेष तथ्य पर लागू न होकर वर्ग विशेष पर लागू हो ।
( 4 ) वस्तुनिष्ठता ( Objectivity ) - वैज्ञानिक पद्धति में वस्तुनिष्ठता का होना भी आवश्यक है । यह व्यक्तिनिष्ठता ( Subjectivity ) अथवा भावनात्मक न होकर वैषयिक होती है । इसका आशय यह है कि अनुसन्धानकर्ता अपने अध्ययन को वस्तुनिष्ठ ( अर्थात् जैसा है उसी रूप में ) प्रस्तुत करता है । इस प्रकार वह स्वयं के विचारों पूर्ण - धारणाओं , पक्षपातपूर्ण भावनाओं , पूर्वाग्रहों एवं व्यक्तिगत अभिवृत्तियों आदि से प्रभावित नहीं होता । वास्तविक एवं वास्तविकता रूप में प्रस्तुत करना ही वस्तुनिष्ठता है ।
( 5 ) पूर्वानुमान क्षमता ( Predicatability ) - विज्ञान अपनी पद्धति के द्वारा अध्ययन प्राप्त निष्कर्षों के पूर्वानुमान की क्षमता भी रखता है । यह वस्तुतः निष्कषों की प्रमाण है । पूर्वानुमान तभी सम्भव होता है जबकि निष्कर्ष कार्य - कारण सम्बन्ध पर .. आधारित हो । इसमें इन कार्य - कारण सम्बन्धों ( Cause and Effect Relationship )अध्ययन किया जाता के आधार पर परिवर्तित होने वाली घटना एवं सम्भावित परिणामों की ओर संकेत किया जा सकता है । विभिन्न कारकों के अध्ययन के आधार पर किसी घटना की प्रकृति और उनमें परिवर्तन की दर मालूम की जा सकती है । इसी ज्ञान के आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में उस घटना का क्या स्वरूप होगा । अन्तर्गत जब किसी भौतिक , अभौतिक या सामाजिक घटना का अध्ययन किया जाता है
( 6 ) कार्य - कारण सम्बन्ध ( Cause Effect Relationship ) - वैज्ञानिक पद्धति के विभिन्न कारकों के मध्य कारण प्रभाव जानने का प्रयास किया जाता है । अर्थात् किन परि स्थितियों में कौन - कौन से कारक क्या प्रभाव डालते हैं , का हैं । घटना में कारकों की स्थिति , कारक किन किन को प्रभावित करते हैं और किन - किन से प्रभावित होते हैं आदि का गहन अध्ययन किया जाता है । अगर अध्ययन की पद्धति में कार्य - कारण तो यह वैज्ञानिक पद्धति नहीं कहलायेगी क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति का मूल आधार ही कारण प्रभाव सम्बन्ध का अन्वेषण करना है ।
( 7 ) तार्किकता ( Logicality ) – वैज्ञानिक पद्धति प्रत्येक घटना का तार्किक अध्ययन करती है क्योंकि प्रत्येक घटना के घटने में अनेक कारक होते हैं जिनमें परस्पर तर्कपूर्ण सम्बन्ध होते हैं । अतः उनका अध्ययन करना ही वैज्ञानिक पद्धति का मुख्य उद्देश्य होता है । अनेक प्रयोगों और परीक्षणों द्वारा घटना के तथ्यों की परस्पर गुण सम्बन्धों द्वारा व्याख्या की जाती है जिससे व्याख्या और निष्कर्ष तर्कपूर्ण होते हैं । यदि ये तर्कपूर्ण नहीं हैं तो निष्कर्ष को प्रामाणिक नहीं माना जाएगा । उसकी सत्यता पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा । इसलिए वैज्ञानिक पद्धति घटना का वर्णन , व्याख्या का आधार तार्किक होना चाहिए तभी उसके निष्कर्ष निश्चित स्पष्ट और विशिष्ट माने जायेंगे । सम्बन्धों का गहन अध्ययन नहीं किया जाता
( 8 ) सैद्धान्तीकरण ( Theorization ) - वैज्ञानिक पद्धति की विशेषता है जिसमें सिद्धान्तों का निर्माण किया जाता है । इस पद्धति के द्वारा उपकल्पना सबसे महत्त्वपूर्ण का निर्माण किया जाता है , तथ्यों को एकत्रित किया जाता है तथा तथ्यों में कार्य - कारण अध्ययन करके सामान्यीकरण किया जाता है । जो अन्त में सिद्धान्तु के रूप में प्रस् किया जाता है । सिद्धान्त तथ्यों का परस्पर सम्बन्ध दर्शाता है जो कि वैज्ञानिक पद्धति द्वारा गये अध्ययनों से ही सम्भव है । वैज्ञानिक पद्धति नये - नये सिद्धान्तों का निर्माण करके ज्ञान में वृद्धि करती है । इस प्रकार सैद्धान्तीकरण वैज्ञानिक पद्धति का अंतिम चरण है।
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