सामाजिक मूल्य किसे कहते हैं
सामाजिक मूल्य किसी समाज में प्रचलित वे आदर्श नियम अथवा लक्ष्य होते हैं जिनके प्रति समाज के सदस्य श्रद्धा रखते हैं । सामाजिक जीवन में सामाजिक मूल्यों को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है । ये सामाजिक मूल्य उचित - अनुचित , भला - बुरा , योग्य आयोग्य , नैतिक - अनैतिक , पाप - पुण्य आदि की व्याख्या करने में सहायक की भूमिका निभाते हैं । इस प्रकार मूल्य एक सामान्य मानक हैं और इन्हें उच्चस्तरीय मानदण्ड कहा जाता है । स्वयं मानदण्डों का मूल्यांकन भी मूल्यों के आधार पर होता है । मूल्य एक प्रकार से सामाजिक माप या पैमाना है जो समाज के नियमों तथा कानूनों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं , सामाजिक मूल्य समाज की उपज होते है और समाज के सदस्य उनके प्रति जागरूक होते हैं । सामाजिक मूल्य का सम्बन्ध किसी व्यक्ति विशेष से न होकर सम्पूर्ण समाज से होता है ।
सामाजिक मूल्य का अर्थ
सामाजिक मूल्य व्यवहार का सामान्य तरीका तथा सामान्य प्रतिमान है जो किसी समाज में अच्छे या बुरे , सही या गलत को तय करता है । उदाहरण के लिए सदा सत्य बोलो , सब पर दया करो , स्त्री - पुरुष को समान अधिकार प्राप्त हो , प्रजातन्त्र एक अच्छी शासन व्यवस्था है आदि हमारे समाज में सामान्य मूल्य है । हमारे सामाजिक सम्बन्धों को सन्तुलित बनाए रखने में मूल्य अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । सामाजिक मूल्यों के द्वारा ही सामाजिक व्यवहार में एकरूपता बनी रहती है । डॉ राधाकमल मुखर्जी सामाजिक मूल्यों की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि मूल्य मानव समूहों और व्यक्तियों के द्वारा प्राकृतिक एवं सामाजिक विश्व से सामंजस्य करने के उपकरण है । ऐसे प्रतिमानों को मूख्य कहते हैं जो व्यक्तियों की विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु मार्गदर्शन करते हैं । ये सामाजिक अस्तित्व के केन्द्रीय तत्त्व कहे जा सकते हैं और समूह सदस्य इनको रक्षित रखने हेतु हर सम्भव त्याग करने को तैयार रहते है । मूल्य एक प्रकार से सामूहिक लक्ष्य होते हैं जो प्रत्येक सदस्य के लिए आस्था का प्रतीक होते हैं ।
सामाजिक मूल्यों की परिभाषा
• राधाकमल मुखर्जी के अनसार , " मूल्य समाज द्वारा स्वीकृत वे इच्छाएँ तथा लक्षण हैं जिनका अन्तरीकरण सीखने या सामाजीकरण की प्रक्रिया से आरम्भ होता है । जो कि इनके पश्चात् अभिमान्यताएँ बन जाती हैं । "
• हेरी एम जानसन के अनुसार , " मूल्य की व्याख्या एक विचारधारा या मानदण्ड की तरह की जा सकती है । यह विचारधारा सांस्कृतिक या व्यक्तिगत हो सकती है । इस धारणा के कारण ही एक वस्तु की तुलना दूसरी वस्तु से की जा सकती है । जिस व्यक्ति का मूल्य विचाराधारा के कारण ऊँचा किया जाता है , नीचा होता है , तो उसे अस्वीकार किया जाता है "
• वुड्स के अनुसार , " सामाजिक मूल्य वे सामान्य सिद्धान्त हैं , जो दिन प्रतिदिन के जीवन में व्यवहार को नियन्त्रित करते हैं । ये मानव व्यवहार को दिशा प्रदान करने के साथ - साथ अपने आप में आदर्श तथा उद्देश्य भी है । सामाजिक मूल्य में केवल यही नहीं देखा जाता होना चाहिए बल्कि यह भी देखा जाता है कि क्या सही है या क्या गलत है । "
• हारालाम्बोस के अनुसार , " एक मूल्य एक विश्वास है जो यह बताता है कि क्या अच्छा और वांछनीय है । "
• फिचर के अनुसार , “ सामाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से मूल्यों को उन कसौटियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिनके माध्यम समूह अथवा समाज व्यक्तियों , प्रतिमानों , उद्देश्यों और अन्य सामाजिक सांस्कृतिक वस्तुओं के महत्त्व का निर्णय करते हैं । "
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