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Ethnomethodology किसे कहते है?

Ethnomethodology किसे कहते है?

अंग्रेजी भाषा के शब्द एथेनो का अर्थ है- लोक या जन साधारण .मेथेडोलॉजी का अर्थ-अध्ययन करने की पद्धति। दोनों शब्दों का सम्मिलित अर्थ यह है कि व्यक्तियो का अध्ययन करने की पद्धतियां।

परिभाषा-एथेनोमेथेडोलॉजी एक सैध्दांतिक रूझान है, जिसका उद्देश्य यह वर्णन करना होता है की लोग अपने दिन प्रतिदिन के जीवन मे चारों ओर की स्थिति या माहौल की परिभाषा किस प्रकार करते हैं।

Ethnomethodology अवधारणा

यह विभिन्न सामाजिक व्यवहारों और समस्याओं को समझने के लिये सामाजिक संस्थाओ अथवा उनके व्यवहारों के अध्ययन की अपेक्षा मनुष्य के दैनिक व्यवहारों के अध्ययन पर जोर देता हैं।

समाजशास्त्र में एथेनोमेथेडोलॉजी  उपागम / दृष्टिकोण

इस उपागम ने कई विचारधाराओ एवं परम्परागत अध्ययन पद्धति को चुनौती दी है। एथनोमेथेडोलॉजी प्रमुख रूप से मानवीय व्यवहार के उन पक्षों का अध्ययन करने पर बल देती है, जो कि व्यक्ति के जीवन में दिन प्रतिदिन के समान्य एवं व्यवहारिक क्रियाओ से सम्बंधित हैं।

एथेनोमेथेडोलॉजी की विशेषतायें

  • एथनोमेथेडोलॉजी समाजशास्त्र में सामाजिक यथार्थ के अध्ययन पर बल देता है। वे घटनाये जो मानव के  वास्तविक जीवन में घटित होती है, उन्हें देेेखकर, सुुुनकर, समझकर जानने की रुचि रखता हैं।
  • एथनोमेथेडोलॉजी मनुष्य की दिन प्रतिदिन की घटनाओं के अध्ययन पर बल देती है। ये वे घटनाएँ हैं जो सच्ची हैं। अतः सामाजिक यथार्थता के अध्ययन में अन्तः क्रिया द्वारा दिन प्रति दिन छोटे स्तर पर जो घटनाएं घटित होती हैं, उसी का अध्ययन इसमें किया जाता हैं।
  • एथनोमेथेडोलॉजी में घटना उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती जितनी कि उन घटनाओं के सही अर्थ को जानना व उन्हे समझना है, जब कोई घटना घटती है तो लोग क्या अर्थ लगते है यहीं जनना एथनोमेथेडोलॉजी की रुचि का बिन्दु हैं।

एथेनोमेथेडोलॉजी का महत्व 

  • एथनोमेथेडोलॉजी  में भाषा के  समाजशास्त्रीय पक्ष पर विशेष ध्यान देकर अध्ययन किया जाता हैं जिससे यह ज्ञात हो सके कि भाषा के उच्चारण में थोड़े से अन्तर से किस तरह उसका अर्थ बदल जाता है। 

  • यह घटनाओ के व्याख्या करने पर बल देता है तथा व्यक्ति विशेष से सम्बंधित अध्ययन को प्रोत्साहित देता है।
  • यह मौखिक एवं अमौखिक दोनों प्रकार के व्यवहारो का अध्ययन करके प्रति उत्तर देने या देने के कारणो कि छानबीन करने में सहायक है।

एथेनोमेथेडोलॉजी की आलोचना

  • एथनोमेथेडोलॉजी द्वारा किए गए अध्ययन व्यक्ति विशेष से सम्बंधित होते हैं,वस्तुपर आधारित नहीं होते, इसलिए ऐसे अध्ययन को  वैज्ञानिक अध्ययन नहीं कहा जा सकता।
  • इस उपागम में व्यक्ति को समाज की तुलना में जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जो उचित नहीं हैं।
  • एथनोमेथेडोलॉजी लोक ज्ञान पर आधारित है और इसलिए यह समाजशास्त्र को लोक समाजशास्त्र का रूप प्रदान करती है। इसलिए कह सकते हैं कि इस पद्धति से लोक समाजशास्त्र का अध्ययन तो किया जा सकता है,लेकिन समाजशास्त्र का नहीं।  

एथेनोमेथेडोलॉजी की सीमाएं / कमियां

एथनोमेथेडोलॉजी के अंतर्गत सामाजिक जीवन के दिन प्रति दिन की घटनाओ का अध्ययन किया जाता हैं और यह केवल छोटे स्तरिय अध्ययन है।इसलिए इससे विस्ततृत एवं व्यापक अध्ययन सम्भव नहीं हैंं।अतः इस विधि से प्राप्त निष्कर्ष को न तो सामान्यीक्रत किया जा सकता है और न ही सिद्धांत निर्माण सम्भव हैं। इस उपागम में एक ही घटना को अलग अलग अध्ययन करने वाले व्यक्ति अलग अलग अर्थ प्रदान करते हैं।इसलिए ऐसी स्थिति में सामाजिक घटना के अर्थ निरूपण में  समय एवं शक्ति का अधिक अपव्यय होता हैं।

एथेनोमेथेडोलॉजी में  हेरोल्ड गारफिंकल का योगदान

एथनोमेथेडोलॉजी मैं गारफिंकल ने अपना मुल अर्थ यह प्रकट किया है कि व्यवहारिक  क्रिया कलाप व्यवहारिक  चारों ओर की स्थिति  एवं व्यावहारिक समाजशास्त्रीय प्रत्यक्ष ज्ञान अध्ययन के विषय हैं। दैनिक जीवन की पूणतः साधारण गतिविधियो पर असाधारण गतिविधियो का जितना धयान देेने से एक नए आभास का ज्ञान होता हैं। 

एथनोमेथेडोलॉजी के जनक हेरोल्ड गारफिंकल हैं तथा इसका नामकरण संस्कार भी इन्हीं को जाता है। गारफिंकल ने इस उपागम की सम्रद्धि के लिए अनेक महत्वपूर्ण शोध कार्य किए तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसे लागू किया।


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