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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सामाजिक अनुसंधान की विशेषताएं,प्रकृति,उद्देश्य।

सामाजिक अनुसंधान की विशेषताएं ( 1 )सामाजिक तथ्यों क खोज - सामाजिक अनुसन्धान की सबसे प्रमुख विशेषता यह होती है कि इसका सम्बन्ध सामाजिक सन्दर्भ से होता है । सामजिक जगत् ही अनुसन्धान को सामाजिक का दर्जा प्रदान करता है । प्रत्येक नहीं कहा जा सकता है । सामाजिक का बहुत सरल आशय है अनुसन्धान मानवीय व्यवहारों , मानव समूहों , अन्तः सम्बन्धों , प्रक्रियाओं आदि मानवीय प्रघटना से सम्बन्धित होता है  ( 2 ) सामाजिक सन्दर्भ से सम्बन्धित - इसके अन्तर्गत सामाजिक यथार्थ से सम्बन्धित नवीन तथ्यों का अन्वेषण किया जाता है पुराने तथ्यों की प्रामाणिकता की जाँच जाती है , क्योंकि समय के साथ - साथ नवीन प्रविधियों के प्रादुर्भाव से अवधारणाओं व सिद्धान्तों को विकसित करने की आवश्यकता होती है । अत : पुराने तथ्यों की प्रामाणिकता का मूल्यांकन करते हुए यदि आवश्यक होता है तो इन्हें संशोधित किया जाता है ।  ( 3 ) कार्य - कारण सम्बन्धों का स्पष्टीकरण - सामाजिक अनुसन्धान में सामाजिक यथार्थ के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित तथ्यों में कार्य - कारण सम्बन्ध स्थापित करने का प्रयास किया जाता है और इसी आधार पर अधिक निश्चयता...

सामाजिक अनुसन्धान का अर्थ एवं परिभाषा

अनुसन्धान (शोध) का मतलब ' बार बार खोजने ' से हैं। जब कोई भी खोज सामाजिक जीवन , सामाजिक घटनाओं अथवा सामाजिक जटिलताओं से सम्बन्धित होती है , तब उसे सामाजिक अनुसन्धान का नाम दिया जाता हैं । इसमें इन सबके सम्बन्ध में यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया जाता है । इस हेतु आनुभविक या अनुभवसिद्ध तथ्यों ( Empirical Facts ) का पता लगाया जाता है , निरीक्षण , परीक्षण , वर्गीकरण तथा सत्यापन के आधार पर सामाजिक घटनाओं के कारणों को ढूंढ निकाला जाता है । साथ ही मानव व्यवहार से सम्बन्धित सामान्य नियमों का पता लगाया जाता है । सामाजिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक विधि को काम में लेते हुए अवलोकन ( Observation ) तथा सत्यापन ( Verification ) का विशेषतः सहारा लिया जाता है  सामाजिक अनुसन्धान की परिभाषा सी.ए. मोजर ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है- " सामाजिद घटनाओं तथा समस्याओं के सम्बन्ध में नवीन ज्ञान प्राप्त करने के लिए की गई व्यवस्थित छानबीन को ही हम सामाजिक अनुसन्धान कहते हैं । "  बोगार्डस की परिभाषा में व्यक्तियों तथा उसके परस्पर सम्बन्धों पर महत्त्व दिया गया है । आपके अनुसार सामाजिक अनुसन्धान किसी सम...

सामाजिक भूमिका ( social Role )

सामाजिक भूमिका क्या हैं ? सामान्यत : Role (भूमिका) का आशय किसी व्यक्ति के द्वारा अन्य व्यक्ति के कार्यों की नकल करने से लिया जाता है । इस प्रकार हम चित्रपट देखकर कह सक ते हैं कि अमुक अभिनेता ने नायक का तथा अमुक अभिनेता ने खलनायक का रोल किया । इस प्रकार साधारण अर्थों में अनेक व्यक्ति भूमिका का प्रयोग दूसरे का कार्य ग्रहण करने से लेते हैं । समाजशास्त्र में भूमिका की अवधारणा इतनी सीधी व सरल नहीं है बल्कि बहुत जटिल है । समाजशास्त्री भूमिका को प्रस्थिति का प्रकार्य (प्रमुख कार्य) मानते हैं अर्थात् भूमिका किसी भी प्रस्थिति का व्यावहारिक पहलू है । सिद्धान्त किसे कहते हैं? समाज किसे कहते हैं? भूमिका का निर्माण करने वाले तत्त्व प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं ( अ ) व्यक्तियों की आशायें एवं ( ब ) इन आशाओं के अनुरूप की जाने वाली बाहरी क्रियाएँ । प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों से कार्यों को करने की आशा करता है , यदि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की इन आशाओं के अनुरूप बाहरी क्रियाओ को पूरा करता है तो समाजशास्त्र में इन क्रियाओं को ' भूमिका ' की संज्ञा दी जाती है । भूमिका की परिभाषा डेव...

सामाजिक प्रस्थिति (Social status)

सामाजिक प्रस्थिति क्या है   सामाजिक प्रस्थिति क्या है ? निःसंदेह समाज एक जटिल सामाजिक व्यवस्था है , जिसको बनाये रखने हेतु सभी व्यक्ति सामाजिक - सांस्कृतिक व्यवस्था में अपने - अपने कार्य करते रहते हैं । सामाजिक संगठन को बनाये रखने हेतु प्रत्येक व्यक्ति को जो पद या स्थान प्रदान किया जाता है , वही प्रस्थिति या स्थिति के नाम से सम्बोधित की जाती है । यह उसकी भूमिका पर निर्भर करता है कि वह किन प्रस्थितियों को ग्रहण करेगा और किन प्रस्थितियों को नहीं । समाजशास्त्र में प्रत्यक्षवाद   आधुनिकता की परिभाषा और विशेषता उदाहरण के लिए एक अध्यापक कॉलेज में है तो उसकी प्रस्थिति लेक्चरार की है । जब वह किसी ' मित्र ' से बात करता है तो उसकी प्रस्थिति ' मित्र ' की है । घर वह अपनी पत्नी ' से बात करता है तो उसकी प्रस्थिति ' पति ' की है । जब वह अपने बच्चों से बात करता है तो उसकी प्रस्थिति ' पिता ' की होती है और जब वह अपने पिता से बात करता है तो उसकी प्रस्थिति ' पुत्र ' की हो जाती है । इस प्रकार एक दिन में वह अध्यापक , मित्र , पति , पिता एवं पुत्र आदि सब हैं । लेकिन ...

समाजशास्त्र में प्रत्यक्षवाद

  प्रत्यक्षवाद की परिभाषा   डॉ . मार्डिडेल के शब्दों में  " प्रत्यक्षवाद चिन्तन जगत का वह आन्दोलन है जो संसार की व्याख्या पूर्णरूप से अनुभव के आधार पर करता है ।  ऑगस्ट कॉम्ट को प्रत्यक्षवाद का जन्मदाता कहा जाता है , इनके अनुसार प्रत्यक्षवाद का अर्थ “ वैज्ञानिक ” है । आपका विचार है कि सम्पूर्ण संसार “ अपरिवर्तनीय प्राकृतिक नियमों द्वारा व्यवस्थित तथा निर्देशित होता है और यदि इन नियमों को हमें समझना है तो धार्मिक व तार्किक आधारों पर नहीं समझ सकते , इसे विज्ञान की विधियों द्वारा ही समझा जा सकता है । वैज्ञानिक विधियों में कल्पना का कोई स्थान नहीं होता बल्कि यह तो परीक्षण , निरीक्षण , प्रयोग , वर्गीकरण की एक व्यवस्थित कार्यप्रणाली होती है । " समाजशास्त्र की प्रसिद्ध पुस्तकें एवं उनके लेखक   सामाजिक अनुसंधान के प्रकार टालकॉट पार्सन्स के अनुसार , “ प्रत्यक्षवाद ऐसे सामाजिक सिद्धान्त का निर्माण करता है जिसमें सभी मानवीय क्रियाओं को स्वयं कर्ता के दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है । इसमें समाजशास्त्री वस्तुनिष्ठ(वस्तुपरक) अध्ययन करता है ।  हेनरमॉस के अनुसार ,...