प्रत्यक्षवाद की परिभाषा
डॉ . मार्डिडेल के शब्दों में " प्रत्यक्षवाद चिन्तन जगत का वह आन्दोलन है जो संसार की व्याख्या पूर्णरूप से अनुभव के आधार पर करता है ।
ऑगस्ट कॉम्ट को प्रत्यक्षवाद का जन्मदाता कहा जाता है , इनके अनुसार प्रत्यक्षवाद का अर्थ “ वैज्ञानिक ” है । आपका विचार है कि सम्पूर्ण संसार “ अपरिवर्तनीय प्राकृतिक नियमों द्वारा व्यवस्थित तथा निर्देशित होता है और यदि इन नियमों को हमें समझना है तो धार्मिक व तार्किक आधारों पर नहीं समझ सकते , इसे विज्ञान की विधियों द्वारा ही समझा जा सकता है । वैज्ञानिक विधियों में कल्पना का कोई स्थान नहीं होता बल्कि यह तो परीक्षण , निरीक्षण , प्रयोग , वर्गीकरण की एक व्यवस्थित कार्यप्रणाली होती है । "
टालकॉट पार्सन्स के अनुसार , “ प्रत्यक्षवाद ऐसे सामाजिक सिद्धान्त का निर्माण करता है जिसमें सभी मानवीय क्रियाओं को स्वयं कर्ता के दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है । इसमें समाजशास्त्री वस्तुनिष्ठ(वस्तुपरक) अध्ययन करता है ।
हेनरमॉस के अनुसार , “ प्रत्यक्षवाद एक तकनीकी तार्किकता पर आधारित है । यह समाज के नियन्त्रण की आवश्यकता से भी सम्बन्धित है । "
प्रत्यक्षवाद की विशेषताएँ
ऑगस्ट कॉम्ट द्वारा दी गई प्रत्यक्षवाद की विशेषताएँ -
1. समाज में घटनाएँ किस प्रकार घटित होती हैं उनके अध्ययन का यथार्थ रूप क्या है इन सबको प्रत्यक्षवाद स्पष्ट करता है
2. प्रत्यक्षवाद कल्पना , ईश्वरीय शक्ति के आधार पर नहीं वरन् निरीक्षण , परीक्षण , प्रयोगों की व्यवस्थित कार्यप्रणाली के आधार पर घटनाओं की व्याख्या करना है ।
3. प्रत्यक्षवाद समाजशास्त्र में प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों के द्वारा अध्ययन पर बल देता है
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4. प्रत्यक्षवाद ज्ञान का आधार अनुभवनिष्ठ तथ्यों को मानता है
5. यह तथ्यों के मध्य पाये जाने वाले सह - सम्बन्धों का अध्ययन करता है तथा उन्हें नियन्त्रित करने वाले नियमों का निर्माण करता है ।
6. प्रत्यक्षवाद सिद्धान्तों को सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण का आधार एवं उपकरण मानता है ।
7. इसका उद्देश्य वस्तुपरक अध्ययन करना होता है , प्रत्यक्षवाद “ क्या है ? क्या होगा ? ” से सम्बन्ध रखता है यह “ क्या होना चाहिए ? " से कोई सम्बन्ध नहीं रखता ।
8. यह घटनाओं की व्याख्या वैज्ञानिक प्रयोगों के निर्वचनात्मक अभिप्राय से करता है
9. प्रत्यक्षवाद एक मानवतावादी धर्म का व्यवहार करता है । धर्म व ज्ञान का समन्वय स्थापित करता ।
10. प्रत्यक्षवाद सामाजिक पुनर्निर्माण का एक साधन है ।
ऑगस्ट कॉम्ट द्वारा लिखी गई प्रत्यक्षवाद पर पुस्तकें
- Positive Philosophy (1830-42 )
- Positive Polity (1851-54)
चेम्बलिस द्वारा दी गई प्रत्यक्षवाद की विशेषताएँ
1. प्रत्यक्षवाद का सम्बन्ध वास्तविकता से है , कल्पना से नहीं
2. उपयोगी ज्ञान से सम्बन्ध रखता है , न कि समस्त ज्ञान से ।
3. इसका सम्बन्ध यथार्थ ज्ञान से है , न कि अस्पष्ट विचारों से
4. इसका सम्बन्ध सावयवी (organic) सत्य से है न कि शाश्वत सत्य से ।
5. सापेक्ष (relative) का अध्ययन करता है एवं निरपेक्ष को नकारता है ।
प्रत्यक्षवाद के प्रकार
सामान्यतः प्रत्यक्षवाद को दो भागों में बाँटा गया है ---
( 1 ) नव-प्रत्यक्षवाद - नव-प्रत्यक्षवाद समाजशास्त्र में एक वैज्ञानिक अध्ययन पद्धति का परिप्रेक्ष्य है , जो यह मानकर चलता है कि सामाजिक अनुसन्धान भौतिक विज्ञानों को क्रियाविधि पर आधारित होना चाहिए । यह परिमाणात्मक और गणित के प्रयोगों पर अध्ययन में जोर देता है । यह प्रत्यक्षवाद का स्वरूप सम्राजशास्त्र के विश्लेषण में गुणात्मक अध्ययन को मानव - व्यवहार के सम्बन्ध में परिधीय विश्लेषण मानता है ।
( 2 ) तार्किक प्रत्यक्षवाद - प्रत्यक्षवाद की व्यापकता के कारण तार्किक प्रत्यक्षवाद का जन्म हुआ है । यह तार्किक प्रत्यक्षवाद इस मान्यता पर आधारित है कि किसी भी कथन की सत्यता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके सत्यापन की जाँच ज्ञानेन्द्रियों के अनुभव से हो । अगर इस तरह नहीं होता है तो कथन अर्थहीन है । तार्किक प्रत्यक्षवाद में अर्थों के स्पष्टीकरण को आवश्यक माना है जिनको ज्ञानेन्द्रियों के अनुभव के द्वारा जाँचा गया हो लेकिन ऐसे विश्लेषणों में आनुभाविक अवलोकन निकट से जुड़ा होना चाहिए एवं सिद्धान्त निर्माण के लक्ष्य को कम महत्त्व देना चाहिए । तार्किक प्रत्यक्षवाद को कभी - कभी तार्किक अनुभववाद भी कहते हैं ।
प्रत्यक्षवाद की आलोचना
प्रत्यक्षवाद की आलोचना सामान्यतः फैक्फर्ट सम्प्रदाय द्वारा विशेष रूप से की गई है ।
1. प्रत्यक्षवादी सामाजिक घटनाओं के वस्तुनिष्ठ पक्ष पर अत्यधिक बल देते हैं । सामाजिक घटनाओं में मूल्य , विचार , भावना आदि की उपेक्षा करते हैं जबकि ये घटनाओं के महत्त्वपूर्ण होते हैं ।
2. प्रत्यक्षवाद परिमाणात्मक तथ्यों तक ही सीमित है इसमें गुणात्मक पक्ष को महत्त्व नहीं दिया जाता , प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्र विश्लेषण की वास्तविक गहराई तक नहीं जाते ।
- सामाजिक सर्वेक्षण (social survey)
- सिद्धान्त किसे कहते हैं?
- सामाजिक संरचना किसे कहते हैं?
- सामाजिक प्रतिमान का अर्थ एवं परिभाषा
- सामाजिक प्रतिमान के प्रकार
3. समाजशास्त्री विज्ञान सम्बन्धी मान्यता की आलोचना करते हैं । वे कहते हैं कि समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक सम्बन्धों को समझना है , समाज को समझने की क्षमता पैदा करना है जो कि प्रत्यक्षवाद नहीं करता ।
4. यथार्थवादी का कहना है कि प्रत्यक्षवादी घटनाओं का बहुत सीमित अध्ययन करते हैं , घटनाओं के क्या कारण हैं ? घटना के अनुभागी क्या सोचते हैं ? इसकी कारणात्मक व्याख्या होनी चाहिये ? इन पक्षों पर प्रत्यक्षवादी ध्यान नहीं देते हैं ।
- सामाजिक स्तरीकरण
- संस्कृति का महत्त्व एवं प्रकार
- समाजशास्त्र में कर्म का सिद्धान्त
- समाजीकरण की अवस्थाएं
- समाजशास्त्र में कर्म का सिद्धान्
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