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अगस्त, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

समुदाय किसे कहते हैं?

सामाजिक समुदाय क्या है समुदाय शब्द का प्रयोग हम किसी बस्ती , गाँव , शहर , जनजाति अथवा राष्ट्र के लिए करते हैं । जब किसी समूह के सदस्य अपने समूह के किसी विशेष स्वार्थ की पूर्ति के कारण सम्बन्धित नहीं होते , बल्कि उसमें अपना सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं ,तब ऐसे छोटे या बड़े समूह को ही समुदाय कहा जाता है । एक व्यापारिक संगठन , धार्मिक संस्था अथवा राजनीति  दल के अन्तर्गत व्यक्ति के सभी लक्ष्यों की पूर्ति नहीं होती बल्कि एक विशेष आवश्यकता की ही पूर्ति होती है , इसलिए इनको समुदाय नहीं कहा जा सकता । इसके विपरीत एक जनजाति , नगर अथवा राज्य के भीतर व्यक्ति को सभी आवश्यकताएं पूरी हो सकती हैं तो इन्हें समुदाय कहते हैं । इस प्रकार समुदाय की आधारभूत कसौटी यह है कि उसके अन्तर्गत व्यक्ति का सामान्य जीवन व्यतीत होता है ।  समुदाय का अर्थ यदि समुदाय के शाब्दिक अर्थ पर विचार किया जाय तो ज्ञात होगा कि Community शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है । Com तथा Munis | Com ' का अर्थ है , एक साथ मिलकर ' ( Together ) तथा ' Munis ' का अर्थ है , ' सेवा करना ' ( Serving ) । जब मानव -...

सामाजिक संरचना?( social structure )

सामाजिक संरचना किसे कहते हैं? प्रत्येक भौतिक वस्तु की एक संरचना होती है जो कई इकाइयों या तत्वों से मिलकर बनी होती है । ये इकाइयाँ परस्पर व्यवस्थित रूप से सम्बन्धित होती हैं तथा इन इकाइयों में स्थिरता पायी जाती है । जिस प्रकार से किसी शरीर या भौतिक वस्तु की संरचना होती है उसी प्रकार से समाज की भी एक संरचना होती है जिसे हम सामाजिक संरचना कहते हैं । समाज की संरचना कई इकाइयों ; जैसे परिवार संस्थाओं , संघों , प्रतिमानित सम्बन्धों , मूल्यों एवं पदों आदि से मिलकर बनी होती है । ये सभी इकाइयाँ परस्पर व्यवस्थित रूप से सम्बन्धित समाज किसे कहते हैं? धर्म की विशेषतायें धर्म का अर्थ तथा परिभाषायें   होती हैं । सामाजिक संरचना को हम मानव संरचना के उदाहरण से स्पष्ट कर सकते हैं । शरीर की संरचना हाथ , पांव नाक , मुंह आदि कई अंगों ( इकाइयों ) से मिलकर बनी होती है । ये सभी अंग अपने - अपने स्थान पर स्थिर हैं और परस्पर एक - दूसरे से व्यवस्थित रूप से जुड़े हुए हैं । ठीक इसी प्रकार समाज का निर्माण भी अनेक इकाइयों ( समितियों , संस्थाओं आदि ) के योगदान पर होता है लेकिन इन विभिन्न इकाइयों का परस्पर व्यवस...

सिद्धान्त के प्रकार ( Types of Theory )

सिद्धान्त के प्रकार ( Types of Theory ) श्री परसी एस . कोहन के अनुसार मोटे तौर पर सिद्धान्त चार प्रकार के होते हैं  1. विश्लेषणात्मक सिद्धान्त ( Analytical Theories ) – जैसे तर्कशास्त्र तथा गणितशास्त्र के सिद्धान्त । इस प्रकार सिद्धान्त वास्तविक दुनिया के सम्बन्ध में शायद ही कुछ कहते हैं , अपितु कुछ ऐसे स्वयंसिद्ध कथनों से बनते हैं जो कि परिभाषा द्वारा सच होते हैं एवं जिनसे दूसरे कथनों को निकाला जाता है ।  2. आदर्शात्मक सिद्धान्त ( Normative theories ) - जो कि ऐसे आदर्श अवस्थाओं के एक समूह का विस्तार करता है जिनकी हम आकांक्षा करते हैं । इस प्रकार के सिद्धान्त , जैसे कि नीतिशास्त्र के एवं सौंदर्यबोधी सिद्धान्त , अक्सर गैर - आदर्शात्मक प्रकृति के सिद्धान्तों के साथ जुड़ जाते हैं और कलात्मक सिद्धान्त एवं वैचारिकीयों ( Ideologies ) आदि के रूप में सामने आते हैं । 3. वैज्ञानिक सिद्धान्त ( Scientific Theories ) – आदर्श के रूप में एक सर्वव्यापी , अनुभाविक कथन होता है जो कि घटना के दो या अधिक प्रकारों के बीच एक कारणात्मक सम्बन्ध को बतलाता है । इस रूप में हम वैज्ञानिक सिद्धान्त की कुछ ...

समाज किसे कहते हैं? ( what is society? )

समाज क्या है? साधारणतः आम आदमी समाज से तात्पर्य व्यक्तियों के समूह से लगाता है लेकिन वह इसका समाजशास्त्रीय अर्थ नहीं समझता है समाजशास्त्रीय दृष्टि से समाज “ सामाजिक सम्बन्धों का जाल या ताना - बाना है । " यह सामाजिक सम्बन्धों की अमूर्त व्यवस्था है  हम विभिन्न सम्बन्धों की इस सन्तुलित व्यवस्था को ही ' समाज ' की संज्ञा देते हैं ।   समाज का अर्थ बोलचाल की भाषा में साधारण अर्थ में ' समाज ' शब्द का प्रयोग व्यक्तियों के समूह के लिए किया जाता है ; जैसे आर्य समाज , ब्रह्म समाज , जैन समाज आदि । यह ' समाज ' शब्द का साधारण अर्थ है जिसका प्रयोग विभिन्न लोगों ने अपने - अपने ढंग से किया है । किसी ने इसका प्रयोग व्यक्तियों के समूह के रूप में , किसी ने समिति के रूप में , तो किसी ने संख्या के रूप किया है सामाजिक संरचना किसे कहते हैं? सामाजिक प्रतिमान का अर्थ एवं परिभाषा संस्कृति किसे कहते हैं कर्म का अर्थ एवं परिभाषा  । इसी वजह से समाज के अर्थ में अनिश्चितता पायी जाती है । समाजशास्त्र में ' समाज ' शब्द का प्रयोग विशिष्ट अर्थ में किया जाता है , यहाँ व्यक्ति - व्यक्ति ...

सिद्धांत ( theory )

सिद्धान्त किसे कहते हैं? किसी विषय के संदर्भ में पर्याप्त प्रमाणों के आधार पर लिया गया अंतिम निर्णय जिसमें किसी परिवर्तन की गुंजाइश न हो । सिद्धान्त  क्या है ? ( What is Theory )   " सिद्धान्त ' मानसिक क्रिया है । इस कथन की व्याख्या आवश्यक है । मनुष्य में तार्किक चिन्तन और कल्पना शक्ति है । यथार्थ को नियमों में बांधकर अवलोकन करना सैद्धान्तिक अवलोकन है । जगत का यथार्थ व्यक्ति से बाहर होता है । उनका अवलोकन करने से घटनाओं में क्रमबद्धता प्रतीत होती है । वर्षा होगी तो प्रायः बादल भी आसमान पर होंगे । आग होगी तो धुआँ भी होगा । किसी समूह में यदि एकता अधिक है तो उसमें समानता भी अधिक होगी ।  धर्म का अर्थ तथा परिभाषायें धर्म की विशेषतायें सर्वेक्षण का अर्थ क्या है? समाजशास्त्र की प्रसिद्ध पुस्तकें एवं उनके लेखक इस तरह के अवलोकन से घटनाओं में क्रमबद्धता प्रतीत होती है और क्रमबद्धता से नियमों की स्थापना होती है । बाहरी जगत की क्रमबद्धता का मनुष्य अपनी तर्कबुद्धि से पता लगाता है । जब वह इस क्रमबद्धता की अभिव्यक्ति प्रतीक या भाषा के माध्यम से करता है तो नियम ( laws ) अथवा सिद्धान्त की...

समाजशास्त्र में फेनोमेनोलॉजी

फेनोमेनोलॉजी ( Phenomenology) का अर्थ प्रघटनावादी उपागम को अंग्रेजी में फिनोमिनोलॉजी कहा जाता है।  अंग्रेजी भाषा का यह शब्द फीनोमिनन (phenomenon) ग्रीक भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ प्रकट दर्शन से है। चीजें जैसी चेतना में दिखाई देती है, उसे उसी अर्थ में लेना  समाज विज्ञान विश्व कोष में इसके सम्बन्ध में लिखता है यह दर्शनशास्त्र की एक विधि है जिसकी शुरुआत मनुष्य से होती है और मनुष्य को स्वयं के अनुभव से जो कुछ प्राप्त होता है, इसे इनमें सम्मिलित किया जाता है।  घटनाएं अपने वास्तविक स्वरूप में जैसी है, कर्ता उन्हें समझता है।   फेनोमेनोलॉजी की परिभाषा फिनोमिनोलॉजी को परिभाषित करते हुए समाज वैज्ञानिक कहते हैं कि यह ज्ञान की एक शाखा है, जो अमूर्तता को नही बल्कि वास्तविकता के अवलोकन को बल देती है। जॉर्ज पास्थस ( George Pasthus ) ने अपनी पुस्तक फिनोमिनोलॉजीकल सोशियोलॉजी में इसे एक पद्धति , उपागम तथा दर्शन का नाम दिया है ।   जॉन रैक्स ( John Racks ) इसे परिभाषित करते हुए लिखते हैं कि " प्रघटनाशास्त्र एक विशेष प्रकार का अन्तर्ज्ञान है , जिसके द्वारा वस्तुओं के वास्...

Ethnomethodology किसे कहते है?

Ethnomethodology किसे कहते है? अंग्रेजी भाषा के शब्द एथेनो का अर्थ है- लोक या जन साधारण . मेथेडोलॉजी का अर्थ- अध्ययन करने की पद्धति।  दोनों शब्दों का सम्मिलित अर्थ यह है कि व्यक्तियो का अध्ययन करने की पद्धतियां। परिभाषा-एथेनोमेथेडोलॉजी एक सैध्दांतिक रूझान है, जिसका उद्देश्य यह वर्णन करना होता है की लोग अपने दिन प्रतिदिन के जीवन मे चारों ओर की स्थिति या माहौल की परिभाषा किस प्रकार करते हैं। Ethnomethodology अवधारणा यह विभिन्न सामाजिक व्यवहारों और समस्याओं को समझने के लिये सामाजिक संस्थाओ अथवा उनके व्यवहारों के अध्ययन की अपेक्षा मनुष्य के दैनिक व्यवहारों के अध्ययन पर जोर देता हैं। समाजशास्त्र में एथेनोमेथेडोलॉजी  उपागम / दृष्टिकोण इस उपागम ने कई विचारधाराओ एवं परम्परागत अध्ययन पद्धति को चुनौती दी है। एथनोमेथेडोलॉजी प्रमुख रूप से मानवीय व्यवहार के उन पक्षों का अध्ययन करने पर बल देती है, जो कि व्यक्ति के जीवन में दिन प्रतिदिन के समान्य एवं व्यवहारिक क्रियाओ से सम्बंधित हैं। एथेनोमेथेडोलॉजी की विशेषतायें एथनोमेथेडोलॉजी समाजशास्त्र में सामाजिक यथार्थ के अध्ययन पर बल देता है। वे घटना...

धर्म की विशेषतायें,महत्त्व,भूमिका,तत्त्व

धर्म की विशेषतायें ( Characteristics of Religion ) ( 1 ) अलौकिक शक्ति में विश्वास - धर्म की सबसे प्रमुख विशेषता यह होती है कि धर्म में यह विश्वास किया जाता है कि विश्व में कोई न कोई दिव्य एवं अलौकिक शक्ति है जो मानव से श्रेष्ठ है । यह शक्ति ही प्रकृति , मानव जीवन एवं समस्त संसार का संचालन करती है ।  ( 2 ) धार्मिक क्रियायें - समाज में मानव अपने धार्मिक विश्वास , विभिन्न धार्मिक क्रियाओं जैसे पूजा - पाठ , कर्मकाण्ड , यज्ञ , हवन एवं बलि आदि के द्वारा अभिव्यक्त करता है । यही कारण है कि प्रत्येक धर्म में इस अदृश्य शक्ति से सम्बन्धित कुछ बाह्य क्रियायें पाई जाती हैं । ये क्रियायें इस प्रकार की होती हैं जिनमें से कुछ सामान्य व्यक्ति द्वारा सम्पादित कर ली जाती हैं जबकि कुछ विशिष्ट व्यक्तियों जैसे पण्डे , पुजारी आदि द्वारा ही सम्पादित होती हैं  ( 3 ) पवित्रता की धारणा - धर्म और धर्म से सम्बन्धित सभी वस्तुओं , क्रियाओं , पुस्तकों , प्रतीकों आदि को पवित्र माना जाता है । धर्म पवित्रता एवं अपवित्रता में भेद करता है यह दुर्थीम का मानना है । जो चीजें धर्म से सम्बन्धित होती हैं , वे सदैन पव...