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सामाजिक मूल्यों की विशेषताएँ ,महत्त्व

सामाजिक मूल्यों की विशेषताएँ   • सामाजिक मूल्यों का सम्बन्ध वैयक्तिक न होकर सामूहिक होता है ।  • सामाजिक मूल्य सामूहिक अन्तः क्रिया की उपज एवं परिणाम होते हैं ।  • सामाजिक मूल्य उच्च स्तरीय सामाजिक प्रतिमान हैं । जिनके माध्यम से हम किसी वस्तु का मापन करते हैं ।  • समाज और समूह के सभी सदस्य सामाजिक मूल्यों को एक मत से स्वीकार करते हैं । इसी कारण मूल्यों के उल्लंघन पर समाज प्रतिक्रिया व्यक्त करता है ।  • सामाजिक मूल्यों में समय एवं परिस्थितियों के साथ परिवर्तनशीलता आती है । अर्थात् सामाजिक मूल्य गतिशील होते हैं ।   • अलग - अलग समाजों में अलग - अलग प्रकार के सामाजिक मूल्य होते हैं ।   सामाजिक मूल्य ( Social Value ) संस्कृति किसे कहते हैं कर्म का अर्थ एवं परिभाषा   समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा समाजशास्त्र की प्रकृति • सामाजिक मूल्यों से सामाजिक कल्याण एवं विभिन्न सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है ।  • सामाजिक मूल्यों की प्रकृति सार्वभौमिक है अर्थात् मूल्य सभी समाजों में विद्यमान होते हैं । • सामाजिक मूल्य एक सोपान व्यवस्था होती है...

सामाजिक मूल्य ( Social Value )

सामाजिक मूल्य किसे कहते हैं सामाजिक मूल्य किसी समाज में प्रचलित वे आदर्श नियम अथवा लक्ष्य होते हैं जिनके प्रति समाज के सदस्य श्रद्धा रखते हैं । सामाजिक जीवन में सामाजिक मूल्यों को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है । ये सामाजिक मूल्य उचित - अनुचित , भला - बुरा , योग्य आयोग्य , नैतिक - अनैतिक , पाप - पुण्य आदि की व्याख्या करने में सहायक की भूमिका निभाते हैं । इस प्रकार मूल्य एक सामान्य मानक हैं और इन्हें उच्चस्तरीय मानदण्ड कहा जाता है । स्वयं मानदण्डों का मूल्यांकन भी मूल्यों के आधार पर होता है । मूल्य एक प्रकार से सामाजिक माप या पैमाना है जो समाज के नियमों तथा कानूनों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं , सामाजिक मूल्य समाज की उपज होते है और समाज के सदस्य उनके प्रति जागरूक होते हैं । सामाजिक मूल्य का सम्बन्ध किसी व्यक्ति विशेष से न होकर सम्पूर्ण समाज से होता है । सामाजिक मूल्य का अर्थ सामाजिक मूल्य व्यवहार का सामान्य तरीका तथा सामान्य प्रतिमान है जो किसी समाज में अच्छे या बुरे , सही या गलत को तय करता है । उदाहरण के लिए सदा सत्य बोलो , सब पर दया करो , स्त्री - पुरुष को समान अधिकार ...

सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएँ ,महत्व,

सामाजिक स्तरीकरण का महत्त्व   • सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होता है ।  • मानव की मनोवृत्तियों को निर्धारित करता है ।  • व्यक्ति को प्रस्थिति एवं भूमिका का निर्धारण  • सहयोग की भावना को बढ़ाना तथा संघर्ष से बचाव । •  अधिक कार्य करने के लिए प्रोत्साहना  •  समाजीकरण में सहायक ।  •  सामाजिक प्रगति में सहायक ।।  •  सामाजिक व्यवस्था और संगठन बनाए रखने में सहायक । सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएँ  • स्तरीकरण समाज का विभिन्न स्तरों में विभाजन है । इन स्तरों में उच्चता एवं निम्नता का होना आवश्यक है ।  • जब तक स्तरीकृत समूहों में स्थिरता न आ जाए , उसे स्तरीकरण की संज्ञा नहीं दी जा सकती है ।  • सामाजिक स्तरीकरण से सम्बन्धित समूह परस्पर सम्बद्ध होते हैं । सामाजिक स्तरीकरण की प्रकृति सामाजिक तथा सांस्कृतिक दोनों होती हैं । • स्तरीकरण एक प्रकार का प्रतिफल है ।  • स्तरीकरण संघर्ष का परिणाम है । यह संघर्ष समाज में शक्ति , धन , प्रतिष्ठा के कारण होता है , जिसे सभी व्यक्ति अधिक - से - अधिक पाना चाहते हैं । • सामाजिक स्तरीक...

सामाजिक स्तरीकरण

सामाजिक स्तरीकरण क्या है ? सामान्य अर्थ में सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है , जिसमें व्यक्तियों के समूहों को उनकी प्रतिष्ठा , सम्पत्ति के अनुसार सापेक्ष पदानुक्रम में विभिन्न श्रेणियों में उच्च से निम्न रूप में स्तरीकृत किया जाता है । यह सामाजिक स्तरीकरण विश्वव्यापी रूप में पाया जाता है । विभिन्न समाजशास्त्रियों के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों में यह स्तरीकरण ( जैसे - पूंजीपति और श्रमिक वर्ग ) औद्योगीकरण को देन है । दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज का विभिन्न स्तरों में विभाजन है और इन स्तरों ऊंच - नीच की भावना या संस्तरण पाया जाता है । समाज के विभिन्न समूहों में आर्थिक , राजनीतिक तथा सामाजिक रूप से यह असमानता हो सामाजिक स्तरीकरण के लिए उत्तरदायों है ।  समाजशास्त्र का अर्थ एवं परिभाषा समाजशास्त्र की प्रकृति समाजीकरण का अर्थ एवं परिभाषा संस्कृति किसे कहते हैं पी . ए . सोरोकिन ने सामाजिक स्तरीकरण सन्दर्भ में लिखा है कि कोई भी समाज जहाँ केवल समानता पाई जाती हो , वास्तविक रूप में एक कोरी कल्पना है । " सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों को कुछ ऐसे समूहों ...