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सामाजिक मूल्यों की विशेषताएँ ,महत्त्व

सामाजिक मूल्यों की विशेषताएँ 

• सामाजिक मूल्यों का सम्बन्ध वैयक्तिक न होकर सामूहिक होता है । 

• सामाजिक मूल्य सामूहिक अन्तः क्रिया की उपज एवं परिणाम होते हैं । 

• सामाजिक मूल्य उच्च स्तरीय सामाजिक प्रतिमान हैं । जिनके माध्यम से हम किसी वस्तु का मापन करते हैं । 

• समाज और समूह के सभी सदस्य सामाजिक मूल्यों को एक मत से स्वीकार करते हैं । इसी कारण मूल्यों के उल्लंघन पर समाज प्रतिक्रिया व्यक्त करता है । 

• सामाजिक मूल्यों में समय एवं परिस्थितियों के साथ परिवर्तनशीलता आती है । अर्थात् सामाजिक मूल्य गतिशील होते हैं ।  

• अलग - अलग समाजों में अलग - अलग प्रकार के सामाजिक मूल्य होते हैं ।  

• सामाजिक मूल्यों से सामाजिक कल्याण एवं विभिन्न सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है । 

• सामाजिक मूल्यों की प्रकृति सार्वभौमिक है अर्थात् मूल्य सभी समाजों में विद्यमान होते हैं ।

• सामाजिक मूल्य एक सोपान व्यवस्था होती है । 

• सामाजिक मूल्यों की निरन्तरता का कारण व्यक्ति का संवेग और भावनाएँ होती हैं ।

सामाजिक मूल्यों का महत्त्व

हमारे दैनिक व्यवहारात्मक विनिमय के सामान्य सिद्धान्त हैं । ये हमारे व्यवहार को दिशा निर्देशित ही नहीं करते वरन् ये आदर्श भी होते हैं । मूल्यों के महत्त्व का उल्लेख करते हुए डॉ . मुखर्जी जी का कथन है कि मूल्यों का सामाजिक विज्ञान के लिए वही महत्त्व है जो भौतिक विज्ञान के लिए गति एवं गुरुत्वाकर्षण का है

 तथा शरीर विज्ञान के लिए पाचन क्रिया एवं रक्त संचार का है । गति , गुरुत्वाकर्षण एवं रक्त संचार को तो प्रकृति की घटनाओं से अलग करके मापा जा सकता है और सूत्रबद्ध किया जा सकता है परन्तु मूल्यों को जीवन , बुद्धि और समाज से अलग करना सम्भव नहीं हैं । मनुष्य की आधारभूत इच्छाओं एवं आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने में मूल्यों का महत्त्वपूर्ण स्थान है । सामाजिक मूल्य समाज को एकत्रित , संगठित एवं नियन्त्रित बनाए रखते हैं इमाइल दुर्खीम ने सामाजिक मूल्यों को आदर्श माना है । आपका मत है कि मूल्य की विवेचना एक सामाजिक तथ्य के रूप में होनी चाहिए । दुर्खीम के अनुसार , सामाजिक तथ्य की तरह

सामाजिक मूल्य की दो अनिवार्य विशेषताएँ हैं : बाह्यता और बाध्यता । दुर्खीम का कहना है कि मूल्य सामाजिक सदस्यों की मानसिक अन्तःक्रिया का फल है । सामाजिक मूल्य किसी एक व्यक्ति का मूल्य नहीं होता अतः यह व्यक्तियों के व्यवहार को प्रभावित करता है और व्यक्ति को एक विशेष ढंग से व्यवहार करने को बाध्य करता है ।

सामाजिक मूल्यों के प्रकार

1 . मूल्य वैयक्तिक मूल्य वे मूल्य हैं जो मानव व्यक्तित्व के विकास से सम्बन्धित होते हैं जिसके कारण मानव व्यक्तित्व की रक्षा होती है ; जैसे - ईमानदारी , राजभक्ति , सत्यशीलता , सम्मान आदि । 

2. सामूहिक मूल्य सामूहिक मूल्य , समूह की सुदृढ़ता से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् समूह के सामूहिक प्रतिमान होते हैं ; जैसे - न्याय , सामूहिक दृढ़ता समानता आदि 

सामाजिक मूल्यों को डॉ . मुखर्जी ने सोपानिक व्यवस्था के अनुसार दो वर्गों में वर्गीकृत किया है 

1. साध्य मूल्य साध्य मूल्य के लक्ष्य एवं सन्तुष्टियाँ हैं , जिनको व्यक्ति एवं समाज जीवन और मस्तिष्क के विकास के लिए अपनाता है जो व्यक्ति के व्यावहारिक अंग होते हैं । ये मूल्य पारलौकिक और अमूर्त होते हैं । इनका मानव जीवन में उच्चतम् एवं विशिष्ट स्थान होता है ; जैसे- ' सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ' । 

2. साधन मूल्य साधन मूल्य वे होते हैं जिनको व्यक्ति एवं समाज साध्य मूल्यों को प्राप्त करने हेतु , उनकी सेवा एवं उन्हें उन्नत करने के साधन के रूप में अपनाता है । इस प्रकार साधन मूल्यों के समुचित चुनाव पर ही व्यक्ति एवं समाज द्वारा साध्य मूल्यों की प्राप्ति सम्भव

है । स्वास्थ्य , सम्पत्ति , पेशा , सत्ता सुरक्षा , प्रस्थिति इत्यादि साधन मूल्य हैं क्योंकि इनका प्रयोग व्यक्ति द्वारा कुछ लक्ष्य एवं सन्तुष्टियों की प्राप्ति हेतु किया जाता है । प्राय : लोगों का लगाव साध्य मूल्यों की तुलना में साधन मूल्यों से होता है ।

सामाजिक मूल्यों के मुख्य प्रकार्य

● सामाजिक मूल्य समाज में एक विशेष प्रकार के मापदण्डीय एवं स्वीकृत व्यवहारों की उत्पत्ति करते हैं ।

● समूह एवं व्यक्ति की क्षमता एवं योग्यता का मूल्यांकन सामाजिक मूल्यों द्वारा ही सम्भव है व्यक्ति की समाज में स्थिति एवं संस्तरण का मूल्यांकन मूल्यों द्वारा होता है ।

● सामाजिक मूल्य समाज का निर्माण एवं सामाजिक सम्बन्धों में समानता लाते हैं । 

● ये समाज के सदस्यों के व्यवहारों को निश्चित एवं निर्धारित करते हैं । 

● व्यक्ति की विभिन्न प्रस्थितियों एवं उससे जुड़ी भूमिकाओं को निर्देशन मूल्यों के द्वारा ही होता है । 

● सामाजिक मूल्य , समाज के सदस्यों के अनौपचारिक नियन्त्रण में सहायक होते हैं । 

● सामाजिक मूल्य मानव व्यवहारों की अनुरूपता एवं विचलन को स्पष्ट करते हैं ।




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