सामाजिक स्तरीकरण क्या है ?
सामान्य अर्थ में सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है , जिसमें व्यक्तियों के समूहों को उनकी प्रतिष्ठा , सम्पत्ति के अनुसार सापेक्ष पदानुक्रम में विभिन्न श्रेणियों में उच्च से निम्न रूप में स्तरीकृत किया जाता है । यह सामाजिक स्तरीकरण विश्वव्यापी रूप में पाया जाता है । विभिन्न समाजशास्त्रियों के अनुसार समाज के विभिन्न वर्गों में यह स्तरीकरण ( जैसे - पूंजीपति और श्रमिक वर्ग ) औद्योगीकरण को देन है । दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज का विभिन्न स्तरों में विभाजन है और इन स्तरों ऊंच - नीच की भावना या संस्तरण पाया जाता है । समाज के विभिन्न समूहों में आर्थिक , राजनीतिक तथा सामाजिक रूप से यह असमानता हो सामाजिक स्तरीकरण के लिए उत्तरदायों है ।
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पी . ए . सोरोकिन ने सामाजिक स्तरीकरण सन्दर्भ में लिखा है कि कोई भी समाज जहाँ केवल समानता पाई जाती हो , वास्तविक रूप में एक कोरी कल्पना है । " सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों को कुछ ऐसे समूहों में विभाजित करता है , जिससे कि समस्त सामाजिक समूह उच्चता और निम्नता के क्रम में व्यवस्थित हो जाता है और उसी के अनुसार उन समूहों का पारस्परिक सम्बन्ध निर्धारित होता है ।
सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ
कोई भी समाज अनेक सदस्यों का एक सम्मिलित अवदान होता है । इस आधार पर कोई भी समाज अपने सभी एक समान स्तर प्रदान नहीं करता है बल्कि उसमें हमेशा ही एक संस्तरण पाया जाता है । मानव सभ्यता के आदिम समाजों में सामाजिक विभाजन और स्तरीकरण देखने को मिलता है । सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ जैसे - जैसे समाज का आकार बढ़ता है वैसे वैसे यह सामाजिक स्तरीकरण भी बढ़ता जाता है । समाज में पाई जाने वाली जाति व्यवस्था ( Caste System ) और वर्ग व्यवस्था ( Class System ) सामाजिक स्तरीकरण को ही दो अभिव्यक्तियाँ है ।
सामाजिक स्तरीकरण की परिभाषा
● के . वी मेयर के अनुसार , " सामाजिक स्तरीकरण , विभेदीकरण का परिणाम है । "
● पारसन्स के अनुसार , " सामाजिक स्तरीकरण वह प्रक्रिया है , जिसमें किसी सामाजिक व्यवस्था में व्यक्तियों का ऊंच - नीच के क्रम विन्यास में विभाजन होता है । "
● रेमण्ड मूरे के अनुसार , “ स्तरीकरण उच्चतर और निम्नतर सामाजिक इकाइयों में समाज का एक क्षैतिज / समानान्तर विभाजन है । ”
● गिस्बर्ट के अनुसार , " सामाजिक स्तरीकरण समाज का उन स्थानों , समूहों व श्रेणियों में विभाजन है जो कि आपस में श्रेष्ठता एवं अधीनता के सम्बन्धों द्वारा सम्बद्ध होते हैं । ”
● मैलविन ट्यूमिन के अनुसार , " सामाजिक स्तरीकरण आवश्यक रूप से किसी सामाजिक समूह या समाज का ऐसी स्थितियों में स्तरीकरण है , जो शक्ति सम्पत्ति , सामाजिक मूल्यांकन के अनुसार की दृष्टि से असमान है ।
● सदरलैण्ड एवं वुडवर्ड के अनुसार , “ सामाजिक स्तरीकरण केवल अन्तर्क्रियाओं अथवा विभेदीकरण की ही एक प्रक्रिया जिससे कुछ व्यक्तियों को दूसरे व्यक्तियों की तुलना में उच्च स्थिति प्राप्त होती है । ”
● ऑगबर्न एवं निमकॉफ के अनुसार , " वह प्रक्रिया जिसके द्वारा व्यक्तियों एवं समूहों को थोड़े बहुत स्थायी प्रस्थितियों उच्चतम और निम्नता के क्रम में श्रेणीबद्ध किया जाता है तो उसे सामाजिक स्तरीकरण के नाम से जाना जाता है । ”
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